Mere Mehboob Qayamat Hogi



Mere Mehboob Qayamat Hogi Aaj Rusva Teri Galiyon Mein Mohabbat Hogi Meri Nazrein To Gila Karti Hain Tere Dil Ko Bhi Sanam Tujhse Shikayat Hogi Mere Mehboob... Teri Gali Maein Aata Sanam Nagma Wafa Ka Gaata Sanam Tujhse Suna Na Jaata Sanam Phir Aaj Idhar Aaya Hoon Magar Yeh Kehne Maein Deewana Khatm Bas Aaj Yeh Vehshat Hogi Aaj Rusva Teri Galiyon Mein Mohabbat Hogi Mere Mehboob...

Meri Tarah Tu Aahen Bhare Tu Bhi Kisise Pyar Kare Aur Rahe Voh Tujhse Parey Toone O Sanam Dhaye Hain Sitam To Yeh Tu Bhool Na Jaana Ki Na Tujhpe Bhi Inayat Hogi Aaj Rusva Teri Galiyon Mein Mohabbat Hogi Mere Mehboob.......



Kishore Kumar

जानिए ‘ताजमहल’ नहीं, हिंदुआेंके तेजोमहालयका ८५० वर्ष पुराना सच्चा इतिहास

'ताजमहल' वास्तु मुसलमानोंकी नहीं, अपितु वह मूलतः हिंदुओंकी है । वहां इससे पूर्र्व भगवान शिवजीका मंदिर था, यह इतिहास सूर्यप्रकाशके जितना ही स्पष्ट है । मुसलमानोंने इस वास्तुको ताजमहल बनाया । ताजमहल इससे पूर्र्व शिवालय होनेका प्रमाण पुरातत्व विभागके अधिकारी, अन्य पुरातत्वतज्ञ, इतिहासके अभ्यासक तथा देशविदेशके तज्ञ बताते हैं । मुसलमान आक्रमणकारियोंकी दैनिकीमें (डायरी) भी उन्होंने कहा है कि ताजमहल हिंदुओंकी वास्तु है । तब भी मुसलमान इस वास्तुपर अपना अधिकार जताते हैं । शिवालयके विषयमें सरकारके पास सैकडों प्रमाण धूल खाते पडे हैं । सरकार इसपर कुछ नहीं करेगी । इसलिए अब अपनी हथियाई गई वास्तु वापस प्राप्त करने हेतु यथाशक्ति प्रयास करना ही हिंदुओंका धर्मकर्तव्य है । ऐसी वास्तुएं वापस प्राप्त करने हेतु एवं हिंदुओंकी वास्तुओंकी रक्षाके लिए ‘हिंदु राष्ट्र’ अनिवार्य है !
मुसलमान आक्रमणकारियोंने भारतके केवल गांव एवं नगरोंके ही नामोंमें परिवर्तन नहीं किया, अपितु वहांकी विशाल वास्तुओंको नियंत्रणमें लेकर एवं उसमें मनचाहा परिवर्तन कर निस्संकोच रूपसे  मुसलमानोंके नाम दिए । मूलतः मुसलमानोंको इतनी विशाल एवं सुंदर वास्तु बनानेका ज्ञान ही नहीं था । परंतु हिंदुओंने इस्लाम पंथकी स्थापनासे पूर्व ही अजिंटा तथा वेरूलके साथ अनेक विशाल मंदिरोंका निर्माणकार्य किया था । मुसलमान आक्रमणकारियोंको केवल भारतकी वास्तुकलाके सुंदर नमुने उद्ध्वस्त करना इतना ही ज्ञात था । गजनीद्वारा अनेक बार उद्ध्वस्त श्री सोमनाथ मंदिरसे लेकर तो आजकलमें अफगानिणस्तानमें उद्ध्वस्त बामयानकी विशाल बुद्धमूर्तितकका इतिहास मुसलमान आक्रमणकारियोंकी विध्वंसक मानसिकताके प्रमाण है ।

अंग्रेज सरकारद्वारा भी निश्चित रूपसे विध्वंस  !

मुसलमान आक्रमणकर्ताओेंके पश्चात आए अंग्रेज सरकारको भारतीय संस्कृतिके विषयमें तनिक भी प्रेम न रहनेके कारण उन्होंने मुसलमान आक्रमणकर्ताओंका ही अनुकरण किया ।

आक्रमणकर्ताओंकी दैनिकीमें ताजमहलके विषयमें सत्य !

आग्राकी ताजमहल वास्तुकी भी कहानी इसी प्रकारकी है । डॉ. राधेश्याम ब्रह्मचारीने ताजमहलका तथाकथित निर्माता शहाजहानके ही कार्यकालमें लिखे गए दस्तावेजोंका संदर्भ लेकर ताजमहलका इतिहास तपासकर देखा है । अकबरके समान शहाजहानने भी बादशहानामा ऐतिहासिक अभिलेखमें अपना चरित्र एवं कार्यकालका इतिहास लिखकर रखा था । अब्दुल हमीद लाहोरीने अरेबिक भाषामें बादशहानामा लिखा था, जो एशियाटिक सोसायटी ऑफ बेंगाल ग्रंथालयमें आज भीr उपलब्ध है । इस बादशहानामाके पृष्ठ क्रमांक ४०२ एवं ४०३ के भागमें ताजमहल वास्तुका इतिहास छिपा हुआ है । इस भागका स्वच्छंद भाषांतर आगे दिया है ।
'शुक्रवार दिनांक १५ माह जमदिउलवलको शहाजहानकी पत्नी मुमताजुल जामानिका पार्थिव बुरहानपुरसे आग्रामें (उस समयका अकबराबाद) लाया गया । यहांके राजा मानसिंहके महलके रूपमें पहचाने जानेवाले अट्टालिकामें गाडा गया । यह अट्टालिका राजा मानसिंहके नाती राजा जयसिंहके मालिकीकी थी । उन्होंने यह अट्टालिका शहाजहानको देना स्वीकार किया । इसके स्थानपर राजा जयसिंहको शरीफाबादकी जहागिरी दी गई । यहां गाडे गए महारानीका विश्वको दर्शन न होने हेतु इस भवनका रूपांतर दर्गामें किया गया ।

मुमताजुुलकी मृत्यु !

शहाजहानकी पत्नीका मूल नाम था अर्जुमंद बानू । वह १८ वर्षोंतक शहाजहानकी रानी थी । इस कालावधिमें उसे १४ अपत्य हुए । बरहानपुरमें अंतिम जजगीमें उसकी मृत्यु हो गई । उसका शव वहींपर अस्थायी रूपसे गाडा गया ।
ॐ का शिल्प

ताजमहल शिवालय होनेका सरकारी प्रमाण !

ताजमहलसे ४ कि.मी. दूरीपर आग्रा नगरमें बटेश्वर नामक बस्ती थी । वर्ष १९०० में पुरातन सर्वेक्षण विभागके संचालक जनरल कनिंघमद्वारा किए गए उत्खननमें वहां संस्कृतमें ३४ श्लोकमें मुंज बटेश्वर आदेश नामक पोथा पाया गया, जो लक्ष्मणपुरीके संग्रहालयमें संरक्षित है । इसमें श्लोक क्रमांक २५, २६ एवं ३६ महत्त्वपूर्ण हैं । इनका स्वच्छंद भाषांतर आगे दिया है ।
'राजाने एक संगमरवरी मंदिरका निर्माणकार्य किया । यह भगवान विष्णुका है । राजाने दूसरा शिवका संगमरवरी मंदिरका निर्माण कार्य किया । ' यह अभिलेख विक्रम संवत १२१२ माह आश्विन शुद्ध पंचमी, शुक्रवारको लिखा गया । (वर्तमान समयमें विक्रम संवत २०७० चालू है । अर्थात शिवालयका निर्माणकार्य कर लगभग ८५० वर्षोंकी कालावधि बीत गई है ।) (यह कालावधि लेख लिखनेके समयका अर्थात वर्ष १९०० के संदर्भके अनुसार है – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

शिवालयके प्रमाणको पुरातत्व शास्त्रज्ञोंका समर्थन !

१. प्रख्यात पुरातत्वशास्त्रज्ञ डी.जे. कालेने भी उपरोक्त दस्तावेजको समर्थन दिया है । उनके संशोधनके अनुसार राजा परमार्दीदेवने २ विशाल संगमरवरी मंदिरोंका निर्माणकार्य किया, जिसमें एक श्रीविष्णुका तो दूसरा भगवान शिवजीका था । कुछ समय पश्चात मुसलमान आक्रमणकर्ताओंने इन मंदिरोंका पावित्र्य भंग किया । इस घटनासे भयभीत होकर एक व्यक्तिने दस्तावेजको भूमिमें गाडकर रखा होगा । मंदिरोंकी पवित्रताका भंग होनेके कारण उनका धार्मिक उपयोग बंद हो गया । इसीलिए बादशहानामाके लेखक अब्दुल हमीद लाहोरीने मंदिरके स्थानपर महल ऐसा उल्लेख किया होगा ।
२. प्रसिद्ध इतिहासकार आर.सी. मुजुमदारके अनुसार चंद्रात्रेय (चंदेल) राजा परमार्दिदेवका दूसरा नाम था परमल एवं उसके राज्यका नाम था बुंदेलखंड । आज आग्रामें दो संगमरवरी प्रासाद हैं, जिसमें एक नूरजहांके पिताकी समाधि (श्रीविष्णु मंदिर) है एवं दूसरा (शिवमंदिर) ताजमहल है ।

ताजमहल हिंदुओंका शिवालय होनेके और भी स्पष्ट प्रमाण !

प्रसिद्ध इतिहासकार आर.सी. मुजुमदारके मतका समर्थन करनेवाले प्रमाण आगे दिए हैं ।
१. ताजमहलके प्रमुख गुंबजके कलशपर त्रिशूल है, जो शिवशस्त्रके रूपमें प्रचलित है ।
२. मुख्य गुंबजके उपरके छतपर एक संकल लटक रही है । वर्तमानमें इस संकलका कोई उपयोग नहीं होता; परंतु मुसलमानोंके आक्रमणसे पूर्व इस संकलको एक पात्र लगाया जाता था, जिसके माध्यमसे शिवलिंगपर अभिषेक होता था ।
३. अंदर ही २ मंजिलका ताजमहल है । वास्तव समाधि एवं रिक्त समाधि नीचेकी मंजिलपर है, जबकि २ रिक्त कबरें प्रथम मंजिलपर हैं । २ मंजिलवाले शिवालय उज्जैन एवं अन्य स्थानपर भी पाए जाते हैं ।
४. मुसलमानोंकी किसी भी वास्तुमें परिक्रमा मार्ग नहीं रहता; परंतु ताजमहलमें परिक्रमा मार्ग उपलब्ध है ।
वैदिक पद्धतीका वास्तुनिर्माण
५. फ्रांस देशीय प्रवासी तावेर्नियारने लिखकर रखा है कि इस मंदिरके परिसरमें बाजार भरता था । ऐसी प्रथा केवल हिंदु मंदिरोंमें ही पाई जाती है । मुसलमानोंके प्रार्थनास्थलोंमें ऐसे बाजार नहीं भरते ।

ताजमहल शिवालय होनेकी बात आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगद्वारा भी सिद्ध

वर्ष १९७३ में न्यूयार्कके प्रैट संस्थाके प्राध्यापक मर्विन मिल्सद्वारा ताजमहलके दक्षिणमें स्थित लकडीके दरवाजेका एक टुकडा अमेरिकामें ले जाया गया । उसे ब्रुकलिन महाविद्यालयके संचालक डॉ. विलियम्सको देकर उस टुकडेकी आयु कार्बन-१४ प्रयोग पद्धतिसे सिद्ध करनेको कहा गया । उस समय वह लकडा ६१० वर्ष (अल्प-अधिक ३९ वर्ष) आयुका निष्पन्न हुआ । इस प्रकारसे ताजमहल वास्तु शहाजहानसे पूर्व कितने वर्षोंसे अस्तित्वमें थी यह  सिद्ध होता है ।

शिवालय (अर्थात तेजोमहालय) ८४८ वर्ष पुराना !

यहांके मंदिरमें स्थित शिवलिंगको 'तेजोलिंग' एवं मंदिरको तेजोमहालय कहा जाता था । यह भगवान शिवका मंदिर अग्रेश्वर नामसे प्रसिद्ध था । इससे ही इस नगरको आग्रा नाम पडा । मुंज बटेश्वर आदेशके अनुसार यह मंदिर ८४८ वर्ष पुराना है । इसका ३५० वां स्मृतिदिन मनाना अत्यंत हास्यजनक है ।
पेट की चर्बी को हमेशा के लिए दूर करने के लिए 10 घरेलू नुस्खे

पेट की चर्बी को हमेशा के लिए दूर करने के लिए 10 घरेलू नुस्खे

जिस तरीके से अब तक आपका वजन बढ़ता है, उसी ढर्रे पर चलते रहने से तो वजन कम होने से रहा। यानी अगर आप अपना लुक बदलना चाहते हैं, तो आपको अपने आपको बदलना होगा।
  • 1

    वजन कम करने के टिप्‍स

    पेट की चर्बी कम करना चाहते हैं, तो आपको अपने जीने का अंदाज बदलना होगा। जाहिर सी बात है कि जिस तरीके से अब तक आपका वजन बढ़ता है, उसी ढर्रे पर चलते रहने से तो वजन कम होने से रहा। यानी अगर आप अपना लुक बदलना चाहते हैं, तो आपको अपने आपको बदलना होगा।
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  • 2

    नींबू पानी से करें शुरुआत

    अपने दिन की शुरुआत नींबू पानी से करें। पेट पर जमा अतिरिक्‍त चर्बी को कम करने का यह कारगर घरेलू उपाय है। गुनगुने पानी में नींबू का रस और थोड़ा सा नमक मिला लें। रोज सुबह इसका सेवन करने से आपका मेटाबॉलिज्‍म दुरुस्‍त रहता है और साथ ही आपको वजन कम करने में भी मदद मिलती है।
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  • 3

    ब्राउन राइस

    सफेद चावल से दूर रहें। अगर आप चावल खाने के इतने ही शौकीन हैं, तो इसके स्‍थान पर ब्राउन राइस का सेवन करें। इसके अलावा अपने आहार में भी ब्राउन ब्रेड, साबुत अनाज और ओट्स जैसे खाद्य पदार्थ शामिल करें।
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  • 4

    मीठे से दूर रहें

    अगर आप चर्बी कम करना चाहते हैं, तो मिठाई से दूर रहें। मीठे पदार्थ जैसे, मिठाई, मीठे पेय पदार्थ और तैलीय खाद्य पदार्थों से दूर रहें। ये खाद्य पदार्थ आपके शरीर पर अति‍रिक्‍त चर्बी जमा करते हैं। यह चर्बी आपके शरीर के विभिन्‍न हिस्‍सों जैसे पेट और जांघों पर जमा हो जाती है।
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  • 5

    खूब पानी पियें

    पेट की चर्बी कम करने के लिए आपको खूब पानी पीना चाहिए। यह बेहद कारगर उपाय है। नियमित अंतराल पर पानी पीते रहने से आपका मेटाबॉलिज्‍म बढ़ जाता है और आपके शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और आपका शरीर स्‍वस्‍थ रहता है।
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  • 6

    कच्‍चा लहसुन खायें

    सुबह-सुबह कच्‍चा लहसुन खाना आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह लहसुन की दो तीन कलियां चबाना और ऊपर से नींबू पानी पीना आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे वजन कम करने की आपकी प्रक्रिया दोगुनी हो जाएगी। इसके साथ ही आपके शरीर में रक्‍त प्रवाह भी सुचारू हो जाएगा।
     
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  • 7

    मांसाहार से दूर रहें

    मांसाहारी भोजन में वसा काफी मात्रा में होती है। यह वसा आपके शरीर में जमा हो जाती है, जिससे आपको स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। अगर आप वाकई वजन कम करना चाहते हैं तो बेहतर है कि आप मांसाहार छोड़कर शाकाहारी भोजन अपनायें।
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  • 8

    खूब सब्जियां खायें

    अपने आहार में खूब फल और सब्जियां शामिल करें। सुबह शाम एक कटोरी फल और सब्जियां खाना आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होता है। इससे आपका पेट तो भरा ही रहेगा साथ ही आपको खूब एंटीऑक्‍सीडेंट्स, मिनरल और विटामिन मिलेंगे।
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  • 9

    खाना पकाने का तरीका बदलें

    भोजन पकाते समय ऐसे मसालों का उपयोग करें जो वजन कम करने में मदद करे।  दालचीनी, अदरक और काली मिर्च का उपयोग भोजन पकाते समय जरूर करें। इन मसालों में सेहत के लिए फायदेमंद तत्‍व होते हैं। इससे आपकी इनसुलिन क्षमता बढ़ती है और साथ ही रक्‍त में शर्करा की मात्रा कम होती है।
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  • 10

    क्रेनबेरी का जूस

    क्रेनबेरी के जूस में ऑर्गेनिक एसिड काफी मात्रा में होता है, जो हमारे डायजस्टिव एंजाइम्‍स पर सकारात्‍मक असर डालता है। यह एंजाइम हमारे शरीर में जमा अतिरिक्‍त वसा को समाप्‍त करने का काम करता है।
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  • 11

    बादाम

    बादाम में विटामिन ई और प्रोटीन के अलावा फाइबर की मात्रा भी काफी अधिक होती है। जिससे व्‍यक्ति का पेट लंबे समय तक भरा रहता है। हालांकि, उनमें कैलोरी की मात्रा थोड़ी अधिक होती है, लेकिन वे पेट का मोटापा नहीं बढ़ाते।
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