Mera Naam M.S.D Hain

Mera Naam M.S.D Hain,वैसे तो एक शरीफ इंसान हूं,आप ही की तरह श्रीमान हूं,मगर अपनी आंख से बहुत परेशान हूं,अपने आप चलती है,लोग समझते हैं, चलाई गई है,जान-बूझकर मिलाई गई है...

एक बार बचपन में,शायद सन पचपन में,क्लास में एक लड़की बैठी थी पास में नाम था सुरेखा उसने हमें देखा और बांई चल गई लड़की हाय-हाय..क्लास छोड़ बाहर निकल गई थोड़ी देर बाद हमें है याद प्रिंसिपल ने बुलाया लंबा-चौड़ा लेक्चर पिलाया हमने कहा, जी, भूल हो गई वो बोले, ऐसा भी होता है भूल में शर्म नहीं आती,ऐसी गंदी हरकतें करते हो,स्कूल में और इससे पहले कि,हकीकत बयान करते कि फिर चल गई प्रिंसिपल को खल गई हुआ यह परिणाम कट गया नाम...

बमुश्किल तमाम मिला एक काम इंटरव्यू में, खड़े थे क्यू में एक लड़की थी सामने अड़ी अचानक मुड़ी नजर उसकी हम पर पड़ी और आंख चल गई लड़की उछल गई दसरे उम्मीदवार चौंके उस लडकी की साइड लेकर हम पर भौंके फिर क्या था मार-मार जूते-चप्पल फोड़ दिया बक्कल सिर पर पांव रखकर भागे लोग-बाग पीछे, हम आगे घबराहट में घुस गए एक घर में भयंकर पीड़ा थी सिर में बुरी तरह हांफ रहे थे मारे डर के कांप रहे थे तभी पूछा उस गृहिणी ने कौन..हम खड़े रहे मौन वो बोली,बताते हो या किसी को बुलाऊं...?और उससे पहले कि जबान हिलाऊं...चल गई...वह मारे गुस्से के जल गई...

साक्षात दुर्गा-सी दीखी बुरी तरह चीखी बात की बात में जुड़ गए अड़ोसी-पड़ोसी मौसा-मौसी भतीजे-मामा मच गया हंगामा चड्डी बना दिया हमारा पजामा बनियान बन गया कुर्ता मार-मार बना दिया भुरता हम चीखते रहे और पीटने वाले हमें पीटते रहे भगवान जाने कब तक निकालते रहे रोष और जब हमें आया होश तो देखा, अस्पताल में पड़े थे डाक्टर और नर्स घेरे खड़े थे...

हमने अपनी एक आंख खोली तो एक नर्स बोली दर्द कहां है.हम कहां-कहां बताते और इससे पहले कि कुछ कह पाते चल गई नर्स कुछ नहीं बोली...बाई गॉड... (चल गई)मगर डाक्टर को खल गई बोला,इतने सीरियस हो...फिर भी ऐसी हरकत,कर लेते हो इस हाल में...शर्म नहीं आती मोहब्बत करते हुए,अस्पताल में...?

उन सबके जाते ही आया वार्ड-बॉय देने लगा अपनी राय भाग जाएं चुपचाप नहीं जानते आप बढ़ गई है बात डाक्टर को गड़ गई है केस आपका बिगड़वा देगा न हुआ तो मरा बताकर जिंदा ही गड़वा देगा तब अंधेरे में आंखें मूंदकर खिड़की से कूदकर भाग आए जान बची तो लाखों पाए...`~`

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